टाइटैनिक जहाज की कहानी, इतिहास

हेल्लो दोस्तों आपलौग तो टाइटैनिक जहाज के बारे मे नाम तो सुनने होंगे यदि नहीं जानते हैं तो आज मैं इस टॉपिक पर बात करने वाला हूं और उसके पुरे हिस्टोरी आज अपलौग को बताने जा रहा हूं आपको पुरे ध्यान पूर्वक होकर पढ़ना होगा । तब जा के समाझ मैं आएगा । तो चलिए बिना टाइम वेस्ट करते हुए चालु करते हैं टॉपिक ।

हमारे टाइटैनिक जहाज इतिहास के पिछले 110 साल से पुरे वर्ल्ड में चर्चित है । 1912 में जहाज़ के दुर्घटना हुई थी । इसके बारे में लोगों आज भी बातें करते रहते हैं ।

ब्रिटेन ही नें टाइटैनिक जहाज को बनाऐ थे । और उस समय के बड़ी यात्री जहाज को माना गया था । जहाज को बनाने वाले व्यक्ति ने यह भी कहा था कि यह कभी भी जहाज नहीं डूब सकता है। जहाज के सफ़र ब्रिटेन से न्यू यॉर्क (अमेरिका) तक तय करती थी।

टाइटैनिक जहाज 10 अप्रैल 1912 को साऊथ हैम्पटन (इंग्लैंड) से चल कर उसके बाद इससे पहले की वो न्यूयॉर्क के दक्षिणी छोर में प्रवेश करे उसके पहले ही फ्रांस के चेरबर्ग और आयरलैण्ड के क्वीन्सडाउन में रुकना भी था। लेकिन भगवान को शायद ऐ मंजूर नहीं थी 14 अप्रैल को 4 दिन में 600 किलोमीटर की यात्रा तय करके टाइटैनिक न्यूफाउंडलैंड पहुंचा ही था।

आखिर वो सुनसान काली रातें आ हि गाई जब जहाज़ रात को 11 बजकर 40 मिनट पर जहाज़ एक बड़ी से हिम खंड को टक्कर मारी इतनी जोरदार टक्कर थी कि जहाज़ के पतवार की पत्तियां अंदर, स्टारबोर्ड की तरफ आ गईं। और 16 जलरोधी की दरवाजे में से 5 दरवाजे पुरे समुद्र की तरह खुल गया और पानी तेजी से जहाज़ में भरना लगा ।

लेकिन समय अब बहुत कम बचा था । स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि जीवन रक्षक नौकाओं को प्रकिया पानी में उतारना का शुरू कर दिया गया था। लेकिन नौकाओं में चढ़ने की एक प्रोटोकॉल भी होती थी। जिसका अनुसार उस प्रकार की नौकाओं पर चढ़ने के लिए सिर्फ बच्चा और महिला को अनुमति दी जाती थी।

लेकिन इस प्रोटोकॉल के चक्कर में बहुत से पुरुष को चढ़ने नहीं दिया गया और 2: 20 बजे तक एक भाग नाव का टूट चुकी थी और पुरी तरह से पानी उसमें घुस गया । लेकिन उसमें 1000 से अधिक व्यक्ति सवार थे ।

10 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक जहाज की पहली यात्रा शुरू ही हुई थी। इसके चार दिन बाद ही 14 अप्रैल 1912 को जहाज बर्फ की बहुत बड़ी चट्टान से टकराकर पानी में डूब गया। इसमें Total 2208 व्यक्ति सवार थे जिनमें से सिर्फ 712 व्यक्ति को हि बच पाए थे।

एक विशालकाय और सम्पूर्ण सुख-सुविधाओं से लैस ऐसी जहाज उसका नाम आरएमएस टाइटैनिक था और डूबने से पुरे वर्ल्ड में शोक व्यक्त कर गया था जो कि 15 अप्रैल 1912 को पुरे दुनिया को पता चला कि पहली संवारी में एक ब्रिटेन से न्यूयॉर्क जा रहा ‘टाइटैनिक’ आज सुबह ही एक बहुत बड़े से बर्फ के पहाड़ से टकराकर दक्षिण अटलांटिक महासागर में डूब गया तो दुनिया में पुरे हलचल मच गई । हलचल होती भी क्यों नहीं जो पुरे वर्ल्ड में सबसे पहली टाइटैनिक थी जो कि पानी में उतरने वाला

1500 से अधिक व्यक्ति की जान यानी ज़िन्दगी को भी ले के डूबा गया था। और जहाज़ के उपर से एक व्हाइट स्टार लाइन कंपनी द्वारा चलायेंगे गए तीन ओलंपिक-क्लास यात्री पोतों में से दूसरे नंबर का यह यात्री पोत था ।
2225 यात्री डूबते वक्त इस जहाज़ पे सवार थे वह भी एक अनुमान के मुताबिक बाताया जा रहा है और जहाज के डूबते वक्त ईस में समील चालक दल भी साथ थे
जिनमें से 1500 से भी अधिक लोगों की जान तो चली गयी थी। और यहाँ तक कि बेलाफस्ट में हरलैंड एन्ड वोल्फ कंपनी के निर्मित इस जहाज के मुख्य वास्तुकार यानी आर्किटेक्ट थॉमस एंड्रूज और मुख्य संचालन अधिकारी एडवर्ड स्मिथ भी इस जहाज़ में डूब गए थे।

अमेरिका में एक नई जिंदगी की तलाश में जा रहे थे। ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड और सकैंडिनाविया तथा सम्पूर्ण यूरोप के ऐसे हजारों लोग सवार थे

इस जहाज़ में फर्स्ट क्लास वाला हिस्सा विलासिता यानी लग्जीरियस की सम्पूर्ण सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया था। और उसमें महंगे वाले रेस्टोरेंट, जिम खाना, स्विमिंग पूल, पुस्तकालय और रईशी से परिपूर्ण कमरे भी आदि थे। और यात्रियों को सूचनाएं देने के लिए उसमें एक उच्चतम तकनीकी का रेडियो टेलीग्राफ ट्रांसमीटर लगाया गया था।

सुरक्षा के दृष्टिकोण से देखा जाए तो टाइटैनिक में जलरोधी कंपार्टमेंट, रिमोट कंट्रोल से खुलने और बंद होने वाले बहुत ऐसी दरवाजों भी लगा हुआ था। लेकिन समुद्री सुरक्षा के नियमों के कारण टाइटैनिक में पर्याप्त लेगों के लिए जीवन रक्षा नौकाएं इस में नही थीं । और आधे से थोड़े ही ज्यादा यात्रियों के लिये ही जीवन रक्षक नौकाओं का इंतजाम ही था।

16 डेविट थे। जीवन रक्षक नौकाओं के लिए और प्रत्येक में 3 नौकाएं आती थीं और इसके हिसाब से 48 जीवन रक्षक नौकाएं रखने की जगह थी लेकिन उसमें सिर्फ 20 नौकाएं ही थीं। उसमें से भी 4 ऐसी नौकाएं थीं जो एकदम टूटने के कगार पर थीं, जिन्हें पानी में उतारने में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

और विश्व भर के लोगों में इतनी ज्यादा जानें गवां देने से ज्यादा गम तो था ही पर साथ में संचालन की इतनी बड़ी लापरवाही पर उनमें रोष भी उमड़ पड़ा था। लेकिन उस घटना से सबक लेते हुए ब्रिटेन और संयुक्त राज्य में समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार भी किए गए। 14 साल 1914 को समुद्री सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की स्थापना । जो कि आज भी समुद्री सुरक्षा को नियंत्रित किया जाता है । पिछली वाले गलतियों से बहुत सीख लेते हुए जहाज़ संचार के संबंध में नए नियम लागू किए गए। ऐसे नियम, अगर पहले से लागू होते तो शायद इतनी ज्यादा जाने न जातीं।

टाइटैनिक के मलबा को खोजना वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से एक रुचिकर विषय रहता था। इसके डूबने के लगभग 70 सालों के बाद 1985 में पहली बार उसका मलबा खोजा गया था । उसका मलबा है समुद्र की सतह पर पड़ा हुआ है अनुमान है कि जहाज दो हिस्सों में टूटने के बाद धीरे-धीरे पुरे समुद्र की गहराई में बढ़ता चला गया और अंततः 12415 की फीट की गहराई पर जाकर समुद्र तल पर बैठ गया था।

टाइटैनिक अब तक का सबसे प्रसिद्ध जहाज बन चुका है। उसकी छाप हर जगह दिखाई देने लगी है फिर भी चाहे वह फिल्म हो किताबें हों लोकगीत हो या फिर कोई प्रदर्शनी।

बी.एच.एम.एस ब्रीटैनिक का नाम आता है। टाइटैनिक से लौटी अंतिम जीवित महिला मिलविना डीन थीं, जिनकी 97 साल की उम्र में 2009 में मृत्यु हो गई। जहाजों में दूसरे नंबर पर टाइटैनिक का नाम आता है।

 

 

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